
दुर्गा पूजा से पहले Tripura वालों के चेहरे पर हिल्सा की महक से जो मुस्कान आनी थी, वो अब EMI में बदलने वाली है! जी हाँ, बांग्लादेश से आयात हुई 2,000 किलो हिल्सा मछली की पहली खेप गुरुवार को अखौरा बॉर्डर से राज्य में पहुँची — लेकिन इसकी कीमत सुनकर कई भक्तों ने मछली को देखकर भी ‘व्रत’ का मन बना लिया।
1,125 रुपये में आया, पर 2,000 में मिलेगा!
तपस घोष, जो स्थानीय मछली आयातक हैं, उन्होंने बताया कि बांग्लादेश सरकार ने 12 टन हिल्सा के निर्यात को मंज़ूरी दी है, और ये पहली खेप उसी का हिस्सा है। मूल्य: $9 यानी ₹1,125 प्रति किलोग्राम। संभावित बाजार मूल्य: ₹1,800 से ₹2,000 प्रति किलो। अब आप ही बताइए — ये मछली है या “म्यूचुअल फंड निवेश”?
पिछले साल सस्ती, इस बार VIP ट्रीटमेंट
2024 में त्रिपुरा ने 20 टन हिल्सा मंगवाई थी और ₹1,400-₹1,500 प्रति किलो में मछली फैंसी डिनर नहीं, आम थाली में जाती थी। इस साल कम उत्पादन, मज़बूत डॉलर और त्योहार का तड़का — तीनों ने मिलकर दाम को स्टॉक मार्केट जैसा बना दिया।
“धीरे-धीरे कम होगी कीमत”, पर कब तक?
बट्टाला मार्केट के सचिव सुभाष दास ने कहा, “जैसे-जैसे और खेपें आएँगी, दाम कम होंगे।” लेकिन ये “धीरे-धीरे” वाला भरोसा कुछ वैसा ही है जैसे नेताओं के चुनावी वादे — पता नहीं कब आएगा असर!
देशी हिल्सा भी लाइन में है
गोलबाजार की मछली समिति के सचिव ननिगोपाल दास ने बताया कि ओडिशा, बंगाल, महाराष्ट्र और गुजरात से भी हिल्सा आ रही है। और अगर स्वाद की बात करें, तो “Desi bhi Sexy hai!” यानी देशी हिल्सा भी बांग्लादेशी से कम नहीं।
हाइलाइट:
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भारतीय हिल्सा की supply steady है
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स्वाद में करीब-करीब बराबर
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बांग्लादेशी हिल्सा का मूल्य अब प्रतीकात्मक ज़्यादा, पोषणात्मक कम लग रहा है
तो क्या करना चाहिए?
अगर आप हिल्सा लवर हैं, तो इस बार आपकी थाली में स्वाद नहीं, बजट का “बोझ” ज्यादा होगा। या तो आप EMI पर हिल्सा खरीदें, या देशी विकल्पों को अपनाएँ या फिर इस साल पूजा में “पनीर ही प्रसाद है” वाली सोच रखें।
मछली आई है, त्योहार बनेगा!
त्योहारों का मज़ा स्वाद से ज़्यादा साथ में है — चाहे हिल्सा हो या हलवा। लेकिन इस बार मछली के नाम पर अगर दाम सुनके मन भर जाए, तो इमोशनल फिश-नेस ना दिखाएँ — थोड़ा इंतज़ार करें, शायद अगली खेप थोड़ी मुरझाई हुई हो… और दाम भी!
“फूलों के बाग़ में काँटे न चुनें — इमाम काउंसिल का वोटर गाइड!”